उत्तम ब्रहमचर्य धर्म | घर में ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? जिनशरणम तीर्थधाम, 28 सितम्बर 2023



उत्तम ब्रहमचर्य धर्म | घर में ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? जिनशरणम तीर्थधाम, 28 सितम्बर 2023

भगवान महावीर जी की उत्तम ब्रह्मचारी धर्म की दास लक्षण मा पाव की बोलो भारत गौरव नेता आचार्य पलक सागर जी गुरुदेव की आचार्य संघ की उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की की बात कुछ नहीं बचत है बड़े आनंद के साथ साधना की बड़ी उमंग के साथ तपस्या की बहुत लोगों ने उपवास किया कोई 32 उपवास कर रहा है कोई सोलह उपवास कर रहा है कोई तास कर रहा है कोई आठ कर रहा है कोई पांच कर रहा है कोई बात नहीं जबरदस्ती नहीं करना है मैं कैसे जबरदस्ती कर सकता हूं जब मैं नहीं कर रहा हूं मैं समझना हूं तुम्हारा दर्द थोड़ी सी बातें करूंगा संयम यदि विश्व में किसी धर्म के पास दिखाई देता है तो भगवान महावीर का जिन शासन होता है जहां पर इतनी कठोरता साधना की जाति है लोग कल्पना नहीं कर सकते हैं लोग विश्वास नहीं कर पाते हैं कितने इतने दिन भी कोई निराहार रहकर अपने जीवन व्यतीत कर सकता है और आप सब ने यह करके यह उपास आदि की साधना करके श्रवण संस्कृति का गौरव बढ़ाया है आत्मा का उधर तो किया ही है कल्याण तो किया ही है उसके साथ-साथ जो हमारे पूर्वजों की परंपरा है उसे बाल प्रधान करने में सभी तपस्वियों का हाथ रहा मैं उन्हें बहुत-बहुत आशीर्वाद प्रधान करता हूं ब्रह्मचर्य का नाम ब्रह्मचर्य बिना मोक्ष की यात्रा नहीं हुआ करती है साड़ी दुनिया वासना के चक्रव्यू में फैंसी हुई निकाल जाता है परमात्मा की यात्रा कर लिया करता है जीवन में इससे बड़ी साधना त्रिलोक पूज्य ब्रह्मचर्य बोला है शास्त्रों में और साधनाएं सब सरल है ध्यान रखना उपवास सरल है की सरल है नागरिकता सरल है पैदल चलना सरल है सबसे कठिन कम ये ब्रह्मचर्य की साधना है जो मां की शुद्ध की साधना होती है अंतकरण की पवित्रता की साधना होती है आत्मा की निर्बलता की साधना हुआ करती है और एक बात ध्यान रखना ये ब्रह्मचारी की जो साधना है ना आत्म शुद्ध की बहुत बड़ी साधना है इस सबके बस की बात नहीं है जानवर रखना मनुष्य कम से पैदा होता है मनुष्य क्या जगत का हर प्राणी कम से पैदा होता है कम से पैदा होना हमारी मजबूरी है प्रकृति की व्यवस्था है तीर्थंकर भी आते हैं तो कम से ही आते हैं जानवर रखना बिना कम के किसी का जन्म नहीं होता है मनुष्य का जन्म वासना से हुआ करता है लेकिन एक बात याद रखना महान हो महान वो लोग नहीं होते हैं जो वासना से पैदा होते हैं वासना में जीते हैं और वासना में मा जय करते हैं मेरे महावीर कहते हैं मनुष्य का जन्म वासना से हुआ है लेकिन महान वह होते हैं जो वासना में नहीं साधना में जीते हैं और साधना से मृत्यु को प्राप्त कर लिया करते हैं वह अपने जीवन को सार्थक कर लेते हैं मनुष्य कम से पैदा हुआ ये उसकी मजबूरी है लेकिन कम के लिए जीना और कम के लिए मरना ये मनुष्य की मजबूरी नहीं हुआ करती है वह केमोन में पैदा होकर भी राम में जी सकता है और राम बन करके दुनिया से विनम्र हो सकता है कम में नहीं रमन में चाहिए साधना में लगी हुई शक्ति को प्राप्त कर दिया करती है भोग में नहीं योग में ऊर्जा को लगाओ सॉन्ग में जन्म मिला हुआ है पश्चात संस्कृति वासना की संस्कृति है और हमारी पूर्व की संस्कृति साधना की संस्कृति हुआ करती है हम साधना किया करते हैं परमात्मा की हम बातें नहीं हम करके दिखाए करते हैं हम जी करके दिखाए करते हैं ब्रह्मचर्य की बातें तो दुनिया में सबके पास होती हैं लेकिन ब्रह्मचर्य की साधना तो केवल जैन संतो के पास कठोरता से हुआ करती है इसका मतलब ये नहीं की जो जैन संत नहीं उनमें ब्रह्मचर्य ने उनमें भी है ध्यान रहे ऐसा नहीं है लेकिन इतना ही मेरा निवेदन है सूत नहीं माता नहीं भारत के पास ही संस्कार है हमारे देश के पास ही संस्कृति मौजूद है मान्यवर ग्रस्त जीवन कितने वर्ष का होना चाहिए ग्रस्त होना कितने वर्ष का होना चाहिए जीवन शास्त्रों के अनुसार ग्रस्त जीवन जब तक सांस तब तक जी रहे हैं 25 वर्ष गृहस्ट आश्रम ग्रस्त हैं मैंने कहूंगा की आप गस्ती ना बसाई मैं नहीं कहूंगा संतति को जन्म ना दे मैं नहीं कहूंगा की घर गस्ती के कम ना करें लेकिन लिमिट तो हो शक्ति है ना 51 के बाद अब क्या करना है क्या बन के बाद वन की 51 की तरफ चलो ध्यान रखना जो बन गए वो बन गए थे महावीर बन में चले गए ऋषभदेव वन में चले गए अजीत नाथ बदमे चले गए पारसनाथ वन में चले गए जो बन गए वो बन गए उम्र देखो आज अपनी अपनी उत्तम ब्रह्मचर्य हो गया ना कर लिया ना जीवन का आधा जीवन तो गया ना संसार में बच्चों में परिवार में रुपयो में पैसों में सब में चला गया अब अब हाथ जोड़ो आज से की हम बस अब खत्म करते हैं जीवन अपना जीवन साधना में लगाते हैं मैं ये नहीं का रहा हूं की दूध पीते बच्चे को छोड़ दीजिए मैं नहीं नहीं का रहा हूं की अबोध बच्चों का त्याग करके इस मार्ग पर ए जाइए नहीं उसे बच्चे का पालनपुर पोषण करो बड़ा करो बड़ा हो गया ना जब तुम 50 के होते हो तो बच्चा तो बड़ा हो ही जाता है ना बेटी बड़ी हो जाति है क्या करें महाराज आजकल थोड़े लेट पैदा होते हैं तो साथ ले लो मेरे भाई 10 साल और ले लो क्या दिक्कत है 50 की जगह साथ ले लो अब तो मत आओ इसके बाद ध्यान रखना छोड़ने का प्रयास करो अब तो साधना में जान का प्रयास करो महाराज आप एक बार क्यों खाता हैं दो बार क्यों नहीं खाता हैं अरे मैंने कहा क्यों उनकी नहीं आप एक बड़ी भजन लेते दिगंबर संत एक बार भजन लेट है मैं आपको तो दो बार लेना चाहिए तीन बार लेना चाहिए डॉक्टर आए बोले आपको पानी पीना चाहिए विचार करिए है उन्होंने कहा की आप एक बार भजन क्यों लेते हैं दो बार क्यों नहीं लेते उनका मैं योगी हूं भोगी नहीं हूं भोगी खाता दो बार और योगी खाता एक बार ध्यान रखना मैं भाग थोड़ी क्या करना है खाकी दो बार खाने का मतलब है भोगो की ताकत पैदा करना मुझे तो भूख नहीं है दो बार खाकी करूंगा क्या ध्यान रखना मुझे कौन सा मलिक करना है कौन सा मुझे भाग दौड़ करना है कौन सा मुझे व्यापार करना है कौन सा मुझे ऑफिस जाना है जो मुझे एनर्जी ज्यादा चाहिए एक आए बोलिए महाराज बहुत डबल हो गए अरे उनका डबल उनका महावीर ठोली बन्ना है क्या मुझे क्या करूंगा मुझे कम किया है जो मोटा हूं वेट करके मुझे कोई कुश्ती तो लड़ना नहीं है मुझे किसी से झगड़ा तो करना नहीं है मुझे क्या करना कहे के लिए बदन बनाऊंगी यहां पर आकर के ध्यान रखना है बोलिए विचार करिए दो बार खाने का मतलब है पनीरी के विषय भोगनी की ताकत पैदा करना हम पांच इंद्री के विषय छोड़ चुके हैं हमें तो उतना ही लेना है जिससे इंद्रियां जिंदा रहे बस भिगे ना इसलिए एक बार भजन करना दिगंबर संत का धर्म हुआ करता है विचार करिए ब्रह्मचर्य की सर एक बार भजन एक बार खाए सोयोगी दो बार खाए सब होगी तीन बार खाए तो रोगी बार-बार खाए मृत्यु जरूर होगी समय से पहले फाइल लिपट जाएगी तुम्हारी हो गया ना 60 बरस ले लो रही थोड़ी [संगीत] बहुत गई थोड़ी रही बहुत गई अब तो चेतन जिंदगी को संभालने का प्रयास करना है जिंदगी को साधना में डालने का प्रयास करना है और यदि तुम इस उम्र में आकर भी धर्म से नहीं जुड़े जन्म बेकार चला जाएगा कुछ भी हाथ नहीं लगे वाला है ध्यान रखना याद रखना मोहे ममता छोड़ी नहीं जाति है मां नहीं करता छोड़ने का है ऐसा लगता है और थोड़ा और थोड़ा और बेटा है पोता ए जाए पोती ए जाए उनके हो जाए सोनी की सीधी सोनी की नीचे उतारेगी ध्यान रखना अभी तो चढ़ जाओगे लेकिन ले जाएगी वो नीचे की तरफ ऊपर नहीं ले जाएगी जीवन में छोटी है मां नहीं करता छोड़ने का होगा छोड़ने का मां ना करें तो भी छोड़ना तो पड़ेगी ना ध्यान रख पकड़ के रख सकते हैं स्थाई बना सकते हो नहीं पकड़ सकते हो छोड़ना तो पड़ेगी ही पड़ेगी ध्यान रखना कितने लोग आए जो पढ़ते रहे इस मोहे माया को लेकिन एक बात आपको मालूम होना चाहिए ध्यान रखना जिंदगी क्या हुआ करती है एक दिन तो वह छिनेगी छिनेगी लाख कोशिश करो जिन जिन लोगों ने चाहत राखी की वासनाओं को पकड़ के रखेंगे आकांक्षाओं को पकड़ के रखेंगे कौन पकड़ पाया रावण नहीं सोचा था कंस ने यही सता था विचार करिए लादेन ने भी तो यही सोचा था एक दिन पुरी दुनिया पर हुकूमत करूंगा मौत ने जमाने को क्या समाधि का डाला वो कैसे कैसे रूस्तमों को खाक में मिला डाला किस पर जीना है आदमी कैसे जिंदगी को जाना चाहिए विचार करना है जीवन को समझो जिंदगी को समझना का प्रयास करो ब्रह्मचर्य की साधना करो अपने जीवन में कम से कम इतना तो करो पाव के दिन में हो गए हैं अब हमें अपने जीवन में ब्रह्मचर्य की साधना साधना क्या होती है ब्रह्मचर्य कैसे एक मैं बताऊं मुझे कहना चाहिए या नहीं कहना चाहिए भारी सभा में मुझे नहीं पता लेकिन बड़ी प्रेरणादाई बात का रहा है एक संत मेरे पास आए उदयपुर में मेरा चातुर्मास था उन्होंने कहा की मेरे आहार शरिया अच्छी उन्होंने दिगंबर संत को समझा जाना उन्होंने मुझे कहा की महाराज आपसे अकेले में चर्चा करता है जो मुझे आपसे करना है मैंने सुना रहते हैं दिगंबर रहते हैं 

दुख हो रहा है मुझे एक संत संत से पूछता है ब्रह्मचर्य कैसे प्लेट हैं इससे ज्यादा दुख की कोई दूसरी बात मैंने कहा आप नहीं प्लेट हैं क्या विचार करिए एक संत संत से पूछे की ब्रह्मचर्य क्या होता है फिर इतने दिन साधना करके तुमने किया क्या है अपनी जिंदगी में फिर इतने दिन की कठोर तप शरण से तुमने पाया क्या है अपने जीवन में एक बात याद रखना ब्रह्मचर्य पालने के लिए कुछ नहीं करना पड़ता है ब्रह्मचर्य के लिए कोई पुरुषत नहीं करना पड़ता है मैं पलक सागर तो इतना कहता हो अरे परमात्मा में ब्रह्म में जो ली हो जाता है ब्रह्मचर्य पालना नहीं पड़ता ब्रह्मचर्य अपने आप पालना प्रारंभ हो जय करता है परमात्मा से तो कहां ठिकाना राहत है आप बोलिए 10 दिन से आप यहां साधना कर रहे हैं 10 दिन से परमात्मा से लगन लगाकर बैठे हैं 12:00 बजे 1:00 बजे घर पहुंच करते हैं बताइए की आपके अंदर प्रमुख जगती है आपके अंदर प्यास जगती है आपके अंदर वासना जगती है नहीं ध्यान रखना जब खाली दिमाग होता है तब वासना की तरफ जाता है और जब चित प्रभु में अर्पित होता है वासनाएं छोड़कर के हमें अपने आप चली जाति है हमें वासनाओं को नहीं छोड़ना है वासनाएं खुद हमें छोड़ कर के चली जाए उसका नाम ब्रह्मचर्य हुआ करता है 

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