उत्तम अकिंचन्य धर्म | त्याग और तपस्या करोगे तभी महान बनोगे | जिनशरणम तीर्थधाम, 27 सितम्बर 2023
आज का जो आधार कार्ड भी त्याग करो एक माता जी मेरे पास आई अम्मा जी आई उन्होंने कहा महाराज मैं 30 साल से रात में नहीं का रही प्रातः पानी भी नहीं पीटी हो महाराज [संगीत] मेरे वो नियम है मेरा इतना नहीं है जैन दर्शन कहता है इसे भी बोले जो यह नियम इस संकल्प एक क्रियाएं जो कुछ भी किया है ना इसका भी त्याग कर दो कभी-कभी जोड़ने का ही अहंकार नहीं होता छोड़ने का भी बहुत बड़ा अहंकार होता है हम यह नहीं करते हम यह नहीं खाता हम वो नहीं पीते ढोल क्यों बजा रहे हो साड़ी दुनिया में ढिंढोरा क्यों पीट रहे हो नहीं करते तुम्हारा भला है आप क्या-क्या छोड़ चुके हैं भगवान महावीर कहते हैं उसे भूल जाइए क्या-क्या बच्चा रखा है उसे याद रखिए और उसे छोड़ने का प्रयास करें आलू नहीं खाता लेकिन दूसरी चीज है तो कितनी का जाते हो उसे पर कंट्रोल करेंगे उत्तम आकर्षण संकल्प ही नहीं विकल्पों का भी जो त्याग कर देता है वह उत्तम अकीम चंद्र धर्म को प्राप्त हो जाता है जो अपना है उसे छोड़ नहीं जा सकता और जो अपना नहीं है उसे पड़ा नहीं जा सकता भगवान महावीर से लोगों ने कहा की आप बहुत बड़े त्यागी है आप बहुत बड़े तपस्वी हैं आपने अपने तन के वस्त्र भी फेक दिए आपने चिंदी भी अपने तन पर ना राखी एक धागा भी अपने तन पर ना रखा है भगवान महावीर आपने सब कुछ छोड़ दिया दिल दुश्मन के पास नहीं था पूछा गया की भगवान आप इतना कठोर तपाशरण कर रहे हैं आपने सब कुछ छोड़ दिया भगवान महावीर ने कहा मैंने कहा छोड़ है पूजा की कैसे नहीं छोड़ भगवान महावीर ने कहा यह अपना था कब जो मैं छोड़ सकता हूं ध्यान रखना इसे मैंने कभी अपना मां ही नहीं है कपड़ा अपना होता ही नहीं है भजन अपना होता ही नहीं है महल अपने होते ही नहीं है अरे जब मैंने जन्म से लेकर आज तक इन्हें अपना नहीं माना है तो बताओ मैंने छोड़ क्या है ये मेरे अपने कब से ध्यान रखना ये मेरे आज तक अपने ना हुए ना मेरे परिवार अपना था हमारा रिश्तेदार अपने थे मैंने इन्हें कभी अपना माना ही नहीं है अरे छोड़ना तो वो है जो इन्हें अपना मानता है और जो अपना नहीं मानता उसे छोड़ने की जरूर नहीं पड़ा उत्तम चंद धर्म है त्याग का भी अहंकार मत करना तुम्हारी मर्जी इनकार मत करना की मुझे बड़ा तपस्या दुनिया में कोई और नहीं है वरना अकिंचन धर्म हाथ से निकाल जाएगा अपने त्याग पर भी मैं तो कहता हूं जितना अहंकार लोगों को धन पर नहीं होता उतना अहंकार लोगों को त्याग पर होता है हमने तो त्यागियो के बड़े-बड़े अहंकार देखें हैं गैस्टन को अहंकार हो जाए अलग बात है सन्यासी भी अहंकार में हो जाता है हम ब्रांडेड साधु हैं ध्यान रखना हमसे अच्छा साधु दुनिया में कोई दूसरा अहंकार है हकीम चंद्र हुआ हमसे अच्छी चिड़िया किसी की नहीं है हमसे अच्छा त्याग किसी का नहीं है हमसे अच्छा स्वाध्याय किसी का नहीं है हमसे अच्छा प्रवचन किसी का नहीं है क्या अच्छा ध्यान रखना कुछ भी नहीं जिनेंद्र भगवान की वाणी के आगे हम सब गंज हैं क्या औकात है हम बड़े साधु हैं हम बड़े महाराज हैं तुम छोटे हो तुम्हें कुछ नहीं आता ही नहीं लेते हम मीठा नहीं लेते हम नमकीन तो ढोल नहीं लेट तो अच्छी बात है हम देव दर्शन के बिना पानी नहीं पीते तो क्या पोस्ट छपवाएगा क्या दुनिया में ख्याति अर्जित करेगा जो जितना करेगा उतना प्राप्त करेगा महावीर कहते इसमें अकड़ने की जरूर क्या है तगियों का अहंकार बहुत बड़ा होता है त्यागी त्यागी से मिलन पसंद नहीं करते हैं संत संत से मिलन पसंद नहीं करते हैं एक संत दूसरे संत की प्रभाव ना बर्दाश्त नहीं करता है एक संत दूसरे की ऊंचाइयों पे चढ़ते हुए बर्दाश्त नहीं कर सकता है किसी का नाम ज्यादा हो जाए आज तो ऐसी स्थितियां हो गई है मैं तो कहता हूं की दिगंबर संत इतना विनम्र होना चाहिए इतना विनम्र होना चाहिए मर्दों धर्म में जीने वाला संत इतना ब्रह्म होना चाहिए की दूसरे संत को देखें तो उसके रोम रोम रोम वंचित हो जाना चाहिए हमसे गार्डन हो जाना चाहिए मेरे प्रेम उम्र आवे आज तो स्थिति यह है गनी जनों को देखकर दूसरा लिया करता है हृदय में मेरे प्रेम को बढ़ाएं दूसरे की साधना को देखकर हृदय गदगद हो जाना चाहिए दूसरों की प्रभाव ना को देखकर हृदय फूल जाना चाहिए छाती चौड़ी हो जाना चाहिए की हमारी संस्कृति में कोई तो ऐसा मनी है जो भगवान महावीर को साथ समुद्र पर पहचाने की कोशिश किया करता लेकिन नहीं बाहर से तो बहुत प्रशंसा करते हैं भीतर से छाती में आज लगती है जान रखना मालूम है आज ये स्थिति बेत्रगी संतो की हो गई है तुम्हारी पॉकेट में किसी महाराज का पेन है ना तो उसके आशीर्वाद देने की स्टाइल बादल जाति है वह सोचता है दूसरी पार्टी का विधायक है राजनेताओं जैसे हो गए साधु संत ध्यान रखना मेरा केला उसके पास नहीं जाना चाहिए उसका पाटिल उसके पास नहीं जाना चाहिए हर तरह की बनकर तो आए थे हम भगवान का दास बन गए केला दास आए थे हरि भजन को होटल लगेगा और क्या करने लगे हैं ध्यान रखना मेरा वक्त उसके पास नहीं जाना चाहिए तुम फलाने महाराज के केले हो वो मुख महाराज का केला धर्म है मान्यवर हकीकत में सच्चा संत वह नहीं होता है जो भक्तों को अपना बनाता है सच्चा संत वह होता है जो भक्तों को जिनेंद्र भगवान का बना दिया करता है लोगों के अंदर जिनेंद्र के प्रति आस्था पैदा करो लोगों के अंदर शासन की प्रति आस्था पैदा करो एक की प्रभाव ना दूसरे को सुहाती नहीं है एक का नाम ज्यादा हो जाए दूसरे को आज ग जाता है ये कोई जिंदगी है हमारी ध्यान रखना शराफत को कहते हैं मंदिरों में नाम नहीं लिखा हो साधु कहता मेरा लिखा हो ध्यान रखना ये धर्म होता है ये हकीम धर्म है ये धर्म की प्रभाव ना है हमारा नाम लिखो बड़े अक्षरों में शराफत को कहते तुम नाम मत लिखो ऐसा बेकार है व्यर्थ है एक कम करो ईमेल हमको देता हूं तुम कल्याण कर लो अपना तीखी है बात कड़क है लेकिन कब तक दुर्घटना के दाल से चुपचाप रहेंगे बड़ी-बड़ी अध्यात्म की बातें करते हो मंदिर मूर्तियां पर पूजन परंपराओं पर फोटो तस्वीर पर झगड़ा करते हो तुम क्या आत्मा के दर्शन करोगे फलानी महाराज की फोटो हटा दी फलाने महाराज की तस्वीर लगा दी उनकी हटा दी तुम क्या आत्मा की बात करते हो तस्वीरें पर कैसे करने की सोचते हैं ये उत्तम आकर्षण धर्म है एक जरा पुद्गल है शरीर है नश्वर है दूसरी तरफ पुद्गल ईश्वर हो जाता है और कटनी में हुआ करता है कहते क्या हो और करते क्या हो जीते क्या एक बात याद रखना अभी समाज मूर्ख समाज नहीं है और एक बात और याद रखना इस कलयुग में मूर्ख बच्चे पैदा होना बैंड हो गया है हम रखना और बच्चा विद्वान पैदा हो रहा है ध्यान रखना हर बच्चा ज्ञानी पैदा हो रहा है अभी से ज्यादा मूर्ख नहीं बना सकते हो एक दूसरे को बर्दाश्त नहीं करते हो परिवार में देवरा देवरानी पति जेठ जेठानी को प्रेम से रहना सीखने हो साधु तुम ही प्रेम से नहीं र सकते हो
क्या देंगे मैं कहता हूं जो साधु एक मंच पर नहीं बैठ सकते ना दूसरा वक्त भी एक समाज पर बिठाने की ताकत उसके अंदर नहीं हुआ करती है हम आदर्श हैं समाज के शास्त्रों की गाड़ियों पर बैठकर समाज को तोड़ने की बातें करते हैं पंत को तोड़ने की बात करते हो परंपराओं में समाज को बांटने की बात करते हो हर आदमी ये सोचता है की जो कर पैन पढ़ लेट है शास्त्रों के वो सोचता मैं अरिहंत हो गया हूं ध्यान रखना और हर आदमी ये सोचता है की महावीर को फॉलो करो या ना करो मुझे फॉलो करो जो मैं का रहा हूं वही सही है ध्यान रखना हर आदमी धर्म हर आदमी हर आदमी सर्वज्ञ हर आदमी धर्म की व्याख्याएं कर रहा है कर गाथाएं पढ़ के साधु को धर्म सीखने हो ध्यान रखना की साधु कैसे होना चाहिए साधु की 28 मूल गन होना चाहिए तुम्हारे छह गुना का पता ही नहीं कहां है विचार करना पंचम कल में जितने भी मुनिराज है ना 90% चरित्र आज भी आगम के अनुसार प्लेट हैं 10% रहा करते हैं एक आदमी ने पूछा की महाराज आप जंगल से शहर में क्यों ए गए हमने कहा इसलिए की सारे जानवर जंगल के शहर में ए गए हमारी तो आदत जानवरों के बीच रहने की सोचना है आपको 90% चरित्र साधुओं का आज भी जिंदा है तुम्हारा 90% श्रवण का कर है मैं आपसे पूछना चाहता हूं बातें मीठी मीठी सफेद धोती सफेद कुर्ता मलमल का कुर्ता एक टोपी आलम की बातें हैं करना धरना कुछ नहीं है पब्लिक को बरगलाना मीठे-मीठे लच्छेदार प्रवचन करना ये आत्मा की अनुभूति कराएंगे जिनको खुद की अनुभूति नहीं है धन्यवाद दूसरों को भगवान बांट रहे हैं खुद को भगवान मिले ही नहीं है जब तक खुद को भगवान ना मिले ना तब तक दूसरों को बांटने की जरूर नहीं हुआ जय जय जय जय ध्यान तर्कों को बटन को धर्म नहीं कहते हैं महावीर बटन के बादशाह है नहीं महावीर आचरण के आचार्य थे ध्यान रखना समाज में विभाजनकारी दृष्टियन लाना कभी पंत के नाम पर कभी संत के नाम जब भी मिले हमें टोडा गया मिलने वाला हर रास्ता टोडा छोड़ गया क्या होगा अलग मंदिर बना के क्या होला अलग स्वाध्याय करके क्या होगा अलग ग्रंथ सड़क के मोक्ष दे डॉग कल्याण गारंटी लेते हो की तुम्हारी बटन से हमको मोक्ष हो जाएगा बोलो लेते हो क्या किसी से भी पूछना गारंटी लेते हो की हो जाएगा केवल बकवासों की बाजार लगी है मैं का सकता हूं की आज की दुनिया में वाणी उद्योग के अलावा कुछ नहीं है धर्म ध्यान रखना वाणी की फैक्ट्रियां लगा राखी लच्छेदार शैली में बातें करना लोगों की आस्थाओं को वरगलाना लोगों को ध्यान करना भ्रांतियां पैदा करना कैसी जिंदगी है आचरण राती भर नहीं दिखता है विचार करना टच बटन में अपनी साधना को खराब कर रहे हो ध्यान रखना अरे तुम्हें तो मोक्ष महल की चिंता करना चाहिए निर्वाण की चिंता करना चाहिए समाज को लाडा नहीं झगड़ना की चिंता क्यों करना चाहिए कमंडल वाला मोक्ष हुआ करता है विचार करना है आपको महावीर ने इतना छोड़ उन्होंने एक शब्द का दिया मैंने क्या जोड़ा मेरा क्या था जिसका जो था उसने ले लिया जगत का था तुम सदा नहीं क्या कोई हो जग को दे दी जागकी दिन रात लुटाया करते हो सम-सम की अभी ना शर्म नहीं है धन रखना मैं कहता हूं समाज के वक्ताओं से समाज के बोलने वाले पंडित विद्वानों से भी कहता हूं ऐसे चीज लेकर समाज में ऐसा चिंतन लेकर मत आओ किलो देवसास गुरु से छठ जाए ऐसा चिंतन लो जो छूट हैं वह देव शास्त्र गुरु से जुड़ जाना चाहिए ध्यान रखना तो वह वक्त है क्यों छोड़ रहे हो धार्मिक क्रियो का विरोध करते हो संसार की क्रियो में जीते रहते हो ध्यान रखना क्या धार्मिक क्रियो में निषेध करना ही धर्म हुआ करता है विचार करिए संसार के भोग तो तुम्हारे वैसे ही है जो आम आदमी जिया करता है आम आदमी को भी संसार चाहिए वही हमारे विद्वानों को संसार चाहिए वही मकान वही दुकान वही बच्चे वही बीबी वही रुपया वही पैसा वही र वही देश गे में कैट छांट करते हैं परंपरा धर्म में कैसी चलते हो अरे चलाना है तो अपने कर्मों में क्या चीज चलाओ तुम्हारा कल्याण हो जाएगा ध्यान रखना अपने कृत्य में क्या चीज चलाओ फटी हुई समाज को साइन का प्रयास करो मेरे भाई समाज को तोड़ने का प्रयास नहीं करना ध्यान रखना और आपसे निवेदन करता हूं की जो व्यक्ति जो साधु जो संत जो विद्वान समाज को तोड़े ऐसे विद्वानों को जिनवाणी की इस पद पीठ पर बैठने का अधिकार नहीं होना चाहिए
Click Here
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें