उत्तम त्याग धर्म |जो बुरा लगे उसे त्याग दो फिर चाहे वो विचार हो कर्म हो या कोई मनुष्य हो 26 -09-2023

 





उत्तम त्याग धर्म |जो बुरा लगे उसे त्याग दो फिर चाहे वो विचार हो कर्म हो या कोई मनुष्य हो 26 -09-2023

आज उत्तम त्याग का दिन है अर्जुन के साथ-साथ विसर्जन जरूर होना चाहिए पूजन में हवन करते हो तो आखरी में विसर्जन भी होता है संग्रह के साथ-साथ विसर्जन की कल जो जोड़ने ही जोड़ने हैं जोड़ने नहीं हैं वो डब जाते हैं पकाने की जो वासना है वो है परिग्रह है जोड़ो खूब जोड़ो लेकिन जोड़ने समय एक चीज याद रखना की जीने के साथ-साथ हमें जाना भी है स्थाई नहीं है जाना पड़ेगा कितने चले जाएंगे कोई भरोसा नहीं है इसलिए संसार में जो कुछ भी करो एक चीज का ध्यान रखना की मिटना जरूर है खत्म जरूर होना है तो मां में भाव रखना की एक दिन ये अंगूठी गिरेगी या मैं गिरूंगा या अंगूठी गिरेगी दो में से एक तो जाएगा ध्यान रखना या पदार्थ विदा लगा या फिर मैं दुनिया से इसलिए त्याग में चाहिए 2 दिन का जग में मिला सब चला चली का ठेला दो दिन का जग में मिला सब चला चली कांतिलाल कोई आए कोई जाए कोई गठरी बंद सिधाई खड़ा किया रे अकेला रे कोई खड़ा तैयारी अकेला रहे ठेला रे दो दिन का जग में मिला सब चला चली कैट दो दिन कई तो बचाएं पड़ोस उसके बाद चला चली कटे विचार करना है तुम छोड़ो यह मौत छुड़ाएं मौत छुड़ाएगी तो सैमसन की यात्रा होगी और तुम छोड़ोगे तो मोक्ष की यात्रा राम राम बनते हैं अर्जुन की वजह से नहीं विसर्जन की वजह से महावीर बने विसर्जन की वजह से ध्यान रखना ऋषभदेव ऋषभदेव कहलाने हैं तो त्याग की वजह से ऋषभदेव साड़ी दुनिया में पूज जाते एक गे है उसका दूध ना निकालो तो बेचैन हो जाति है जाति तड़पन हो जाएगी उसको वह दूध का संग्रह भी करती है और दूध का त्याग भी किया करती है वृक्ष से पेट नहीं झड़ेंगे व्यक्ति अपने फल नहीं छोड़ेगा वृत्त से खत्म हो जाएगा वह एक पत्ता छोड़ना है दूसरा पत्ता आता है वृक्ष बोला पेट से सुन पेट एक बात वृक्ष से बोला पेट से सुन पेट एक बात और इस घर की यही रेट है एक आवत एक जाट एक आता है और एक जाता संसार की यही रे फूल नहीं तोड़े जाएंगे विचार करें 

कौन से पानी नहीं निकाला जाता है ना वो केन सब जय करते हैं उनकी पानी में दुर्गंध आई है उसमें कीड़े पद जय करते हैं वह पानी पानी नहीं र जय करता है जो कुआं रोज रोज पानी देता है वो कुआं निर्मल बना राहत है पवित्र बना रहा है करता है आज कुए नहीं है देश में बड़ी आफत है केन वाले महाराजाओं की पहले पूछना पड़ता है समाज तो छोड़ो कुआं है या नहीं है ध्यान रखें पानी नहीं निकलता है पानी सब जाता है

कोई मकान है उसमें निकासी ना बनाई जाए मोरी ना बनाई जाए पानी निकालने का स्थान ना बनाया जाए पानी भारते भारते भारते भारते ध्यान रखना वो दीवारों से रिसने लगता है वो जब दीवारों से रिश्ता है तो मकान कमजोर हो जय करो एक बात मालूम है जो वृक्ष अपने फलों को लुटते हैं ना उनमें हर साल फ्लेट हैं उनमें हर दिन नए पुल ए जय करते हैं विचार करना और जो लोग एसीबी वनस्पति है एक वनस्पति वह है जो रोज लुटती है और एक वनस्पति वह जो रोज छुपा के रखती है ध्यान रखना जो छिपा के रखती है वो जमीकंद होते हैं वो रोज नहीं लुटते हैं वो अपने फलों को छिपा के रखते हैं और एक बड़ी मजे की बात है जो वृक्ष आकाश से बातें करते हैं वो ऊंचाइयां इसलिए पाते हैं की फलों को लुटते हैं फूलों को लुटते हैं और जमी कान जमीन के अंदर इसलिए राहत है वो लुटता नहीं वो लूटना चाहता है वह बटर के रखना चाहता है तो जो फल रोज लुटता है वह वृक्ष जिंदा राहत है और जो जमीकंद अपने फलों को चपटा है वह जर से उखाड़ जाता जड़ से उखाड़ लिया जाता है उसको जमीकंद जड़ से उखड़ता है क्योंकि वो अपने फलों को देना नहीं चाहता है वह ढाबा के रखना चाहता है ऐसे शास्त्रों में लिखा है कंजूसों से आहार नहीं लेना तो कंजूस केवल आदमी ही नहीं होता है वनस्पति भी कंजूस होती है ऐसी कंजूस वनस्पति का जेनी त्याग कर दिया करते हैं ऐसी वनस्पति आलू प्याज लहसुन कौन खाता है ध्यान रखना कंजूस प्रवृत्ति जो ऐसी चीज खाएगा कम ध्यान रखना महावीर भगवान से हमने पूछा की भगवान आहार किस मिलकर डाटा कैसे होते हैं डाटा कर होते हैं ध्यान रखना दान-चार प्रकार कर सड़कों के आगे का धड़कन करता है ध्यान आपका धर्म दान का धर्म है कर प्रकार के पत्र होते हैं एक होता है कंजूस और एक होता है मक्खी चोर ध्यान रखना वेद होता है उधर और एक होता है डाटा कर चीज है कंजूस जानते हो कौन होता है कौन है कंजूस बोलो मैंने देखा है एक सेट को इतना कंजूस एक बच्चा मेरी दर्शन को आया सेठ गया और बेटा तेरी क्या हाल-चाल है कैसा है पढ़ाई लिखी कैसी चल रही बच्चा सोचना की बाबा जी दादा जी को हाथ नहीं फिर उसका तेल लेकर अपने पर लगा रहे हैं जो अपना तेल भी नहीं लगा सकते अपने शरीर में देवी कंजूस लोग हैं धरती पर भगवान महावीर ने कहा कंजूसों से आहार नहीं लेना ध्यान रखना कंजूस बहुत खतरनाक आदमी है भाई सब कुछ दे देगा वो कंजूस कौन होता है जानते हो ना खुद खाता है ना दूसरों को बुंदेलखंड में कहते सड़क जाए कुटुंब नहीं खाए ध्यान रखना जोड़-जोड़ के रखो सड़ना है तो सब जाए पर किसी को खाने नहीं देंगे वो कंजूस लोग हुआ करते हैं पड़ा-बड़ा मा रहा और है है घर अस्पताल में डाला है बड़ा बेटा कहां है यही खड़ा ही खड़ी हूं पत्नी कहां है यही कहीं हो बोले कमबख्त तो जब सब यही खड़े हो तो दुकान पे कौन है मा रहा है दुकान की पड़ी है ये कंजूस लो जोड़-जोड़ के मा जाते हैं छुट्टा नहीं है ध्यान रखना ध्यान रखना दो तरह के अमीर होते हैं छोड़ नहीं सकते हैं भोग करो नहीं तो तीसरी दशा तो ऑटोमेटिक हो जाएंगे करना नहीं पड़ेगी अपने आप सर्वनाश तो लक्ष्मी का होना ही होना है अंत में सर्वनाश है कुछ लोग इतने कंजूस हैं नादान कर पाते हैं ना भोग कर पाते हैं सांप की तरह कुंडली मार के बैठेंगे करने के बाद फिर ऐसे ही नागिन डांस होगा जो भी हुआ था जोड़-जोड़ के मत मारो सब कुछ छठ गया कलाएं महामंत्री जी बोले की शुरू शुरू में तो हमें डर लगता था बड़ी तिरछी निगाह से देखते थे मैंने कहा अब क्या हो गया बोले अब दिल दे चुके सनम ध्यान रहे विचार करिए 4:30 बजे तो अंधेरा राहत है भाग्य ए रहा मक्खी चूस आदमी ध्यान रखना भगवान आप बैठ करके और जैसे ही भास्कर के आए रास्ते में अचानक उसने गाड़ी रॉकी घड़ी रॉकी नीचे उतरा ये वहां धरती पे लगाया बैठा फिर ए गया पत्नी का क्या रे क्या कर रहा था तू क्या उठा रहा था गाड़ी रॉक तूने अरे कुछ नहीं किया बोले ऐसा से आहार मत लेना ध्यान रखना चौक लगाया मीठा बन गया नमकीन बन गया दी बी में पूरे मत खाना वो लेक आओ बोले तीन दिन की मारे याद आए कल दूसरे महाराज को निपटाएंगे ऐसे मत खींचे के हाल हैं ध्यान रखें बोलिए ताला हुआ है ना फ्री कंजूस मक्खी ऊ इसे आहार लेना माना है साधु को और पता चल जाए किसी कंजूस के घर आहार हुआ तो प्रायश्चित ले लेना शास्त्रों में लिखा है कंजूसों को खाकी करोगे क्या अपनी व्यक्ति भी वैसी हो जाएगी अपन ने कंजूसों का आहार खाया है तो अब आशीर्वाद में भी कंजूसी होगी फिर ध्यान में रखना जैसा खाओ अन्य वैसा होगा मां तो जैसा पियोगे पानी वैसी निकलेगी कंजूसों का मक्खी चूसो का नहीं खाना एक होता है उधर जो खुद भी खाता है दूसरों को भी खिलता है खुद खाएगा और दूसरों को भी खिलाएगा भगवान कहते ये भी कोई अच्छा आदमी नहीं है खुद खाएगा दूसरों को खिलाएगा आहार चल रहे हैं वो सोच रहा है ये बैठे तो हम खाएं खड़े हैं स्वामी है स्वामी है स्वामी अब स्वामी भी लिए जा रहे हैं वह भी इंतजार कर रहा की ये बैठे तो हम खाएं ये उदाहरण भी हम भी खाएं और तुम भी खाओ और एक जैन दर्शन में होता है डाटा जो खुद भूख राहत है पहले गुरुओं को आहार करता है वह डाटा हुआ करता है जो खुद में ऐसे ही हो जाता है खुद को ना मिले तो ना मिले दूसरों को खिलाना दूसरों को खिलौने में जिसको आनंद आया करता है दूसरों को आहार देने आया करता है जो दूसरों के सोचता है अपना नहीं सोचता मेरी कोई बात नहीं है आप लीजिए स्वागत है आपका ध्यान रखिए वो डाटा है इसलिए शास्त्रों में लिखा डाटा से आहार लेने

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