उत्तम शौच धर्म | तन को नहीं मन को पवित्र करने की जरुरत है | जिनशरणम तीर्थधाम, 22 सितम्बर 2023


उत्तम शौच धर्म | तन को नहीं मन को पवित्र करने की जरुरत है | जिनशरणम तीर्थधाम, 22 सितम्बर 2023

पवित्रता का दिन है पावनता का दिन है निर्मलता का दिन है स्वच्छता का दिन है सुचिता का दिन है संतोष का दिन है संतोष करू तपस्या डे सो सोच सदा निर्दोष ध्यान रखना सरस्वती में नहा लिया भगवान कहते हैं तन को धोने से शुद्ध नहीं हुआ करती है यमुना में नहाने से पाप नहीं धुला करते हैं यदि गंगा और यमुना में नहाने से मुक्ति हो जाति तो जैन दर्शन कहता है मछली और मगरमच्छ सबसे पहले मोक्ष को प्राप्त कर लेते ध्यान रखें तन की पवित्रता की नहीं मां की पवित्रता का धर्म है मां को पवित्र करो मां को पवन बना मां को निर्मल बना कहना बहुत आसन है की रुपया पैसा हाथ कैमल है छुट्टा है क्या कितना गला फाड़ना पड़ता है हमारी कार्यकर्ताओं को तब मुश्किल से निकलता है ध्यान रखना और जीना जमीन आसमान का अंतर हुआ करता है ना तोता जितना मिलेगा और और लाभ की तासीर है की वह बढ़नी राहत है बढ़नी राहत है आशाएं बढ़ता है आश्वासन देता है और हो जाता और हो जाता और हो जाता है इंसान नादान कितना चाहिए तुझे अपनी जिंदगी में कितना बटोरेगा बाजार में हजारों लाखों अविष्कार होते हैं सबसे अपना घर भर लगा क्या वरना कुछ नहीं मिलने वाला है नादान है आदमी समाज बचाने में जिंदगी गवां देता है वस्तुओं को बचाने में रुपया पैसा बचाने में धन मकान बचाने में अपने आप को गम कितना जीवन मिला है तुम्हें मालूम कभी इस पर विचार किया है मंत्र नहीं है 18 साल 17 साल 12 साल याद में जिंदगी को सेट करने में लगा देता है ध्यान रखना 9 वर्ष 6 महीने मिलते हैं जिसमें तुम अपनी जिंदगी का विकास कर सकते हो पुरी उम्र में 9 साल का ऐसा समय होता है उसमें जिंदगी ऊंचाइयों पर चढ़ गई तो चढ़ गई वो गिर गई तो फिर दोबारा उठा नहीं कर करती है मान्यवर 3500 दिन में 84000 घंटे होते हैं मुझे ज्यादा गणित आता नहीं है कैलकुलेटर होगा लगा लेना इससे ज्यादा का समय नहीं मिला जाता है एक बात पढ़ने में चला जाता है एक भाग हमारा परिवार को सेट करने में चला जाता है उसके बाद लास्ट में अपसेट होकर दुनिया से चला जाता है विदेश से ए रहा था धन काम के पहले के लोग विदेश में धन कमाने जाते थे जहाज से समुद्र पर करते थे किसी ने उसे सलाह दे दी हो भाई समुद्र है कोई भरोसा नहीं है तैरना सिख ले नहीं तो डब गया ना किसी दिन जहाज पलट गया तो सब कमाई तेरी धारी र जाएगी कंजूस था मक्की कस था उसने कहा की हां बात तो सही का रहे हो तैरना सिख ले बोले कितने दिन में सिख जाऊंगा बोले साथ दिन में सिख जाएगा बोले बेवकूफ साथ दिन में कितना पैसा काम लूंगा तुझे 7 दिन में सीखने की पड़ी है मेरे पास साथ दिन का वक्त नहीं है लोगों ने कहा एक कम कर नहीं सीखना तो एक युक्ति बताते सरल वाली बोली बता दे तू बोले कम कर जब भी धन काम के ले ना तो खाली केंस्टर अपने पास रखा कर खत्म करो जहां से डब गया पलट गया पीपा तुझे डूबने नहीं देगा ला रहा था जवाहरात काम के ला रहा था सिक्के लेकर के अरता धोखे से क्या हुआ नव पलटने लगी हो गई किस्मत तो कब बादल जाए कोई भरोसा नहीं तूफान ए गया नव पलटने लगी औरंगाबाद का सेठ सोचता है यार अच्छी सलाह दी उसने यदि आज पीपा नहीं लता तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाति उसने झट से पीते का ढक्कन खोल खोल करके सारे हीरे मोती उसमें भर दिए सारे पैसे उसमें भर दिए चिल्लर उसमें भर दी बोले मैं मेरे मा गए कहां र जाएगा पीपा बांध अपनी पीठ पर सारे हीरे जवाहरात बंदे और कूद गया समुद्र के बीच में क्या हुआ बोलो समाज बचाने में जिंदगी हाथ से चली गई जानवर ना कहानी ऐसा ही तो हम नहीं का रहे हैं की भगवान ने पीपा दिया था की जहां मैंने तुझे मनुष्य काफी का दिया है मनुष्य का कनिष्ठतार दिया है जा भाव सागर के कूद जाना तेरी नैना बेड़ा पर हो जाएगी लेकिन नादान आदमी कंकर पत्थर भरने में शरीर को भारी करता है नादान आदमी दुनिया की दौलत भर के इस्टाइप को इतना भारी कर देता है की पीपा बैक जाता है वो तू निकाल के यहां से चला जाता है मान्यवर लाभ लाभ की यही तासीर है बढ़ते जाता है बढ़ते जाता है बढ़ते जाता है उसका कभी अंत नहीं होता है ना पूछ मेरा ढंग में मोच में हूं मुझे पूछते हैं

मौज में हूं [संगीत] दुनिया में मोहब्बतें फैलता हूं मोहब्बत की खोज में हूं ना पूछ मेरा ढंग में मौज में हूं दुनिया में मोहब्बतें फैलता हूं मोहब्बत की खोज में हूं तुझे प्यार करना नहीं आता औरंगाबाद वालों तुझे प्यार करना नहीं आता और मुझे मोहब्बत के बिना जीना नहीं आता तुझे प्यार अध्यरो रखना जिंदगी इसी का नाम है एक धन तुम्हें नहीं आता और एक दान मुझे नहीं आता जिंदगी में धन दौलत रुपया पैसा जरूरी है लेकिन इतना जरूरी नहीं की जिंदगी को हाथ से कोना पड़ेगा विचार करना है आपको एक बात याद रखना जैन दर्शन कहता है अशुद्ध तन में स्तन को शुद्ध कैसे करोगे इंद्रियां जवाब दे रही हैं मंजवाब नहीं दे रहा मां कहता अभी तो मैं जवान हूं सोचना है दांत टूट गए मां नहीं टूटा है कमर टूट जाति है मां तो अकड़ के चला करता है ध्यान रखना विचार करना सफेद बाल हो गए दासन अभी ही नाम दांत टूट कर गिर गए बुढ़ापे का दंड स्वीकार कर रहा है ज्यादा पीना मुझे लेकिन उसके बिना जिया भी नहीं जाता है एक व्यक्ति हुए बहुत अच्छे बहुत अच्छे राइटर थे बहुत अच्छा लिखने थे बहुत बड़ी साहित्यकार हुए बहुत प्रज्ञा पुरुष थे बहुत बुद्धिमान थे बहुत विवेक था बहुत अच्छा लिखने थे उनकी किताबें आज भी पड़ी जाति है लेकिन उनके माता-पिता ने उनका नाम जिनेंद्र रख दिया लेकिन कभी वो जिनेंद्र के आगे झुकी नहीं कभी मंदिर नहीं गए कभी दर्शन नहीं किया कभी भक्ति नहीं कभी पूजा नहीं मंदिर के सामने से भी निकाल जैन तो झुकना नहीं उन्हें लगता था ये सब व्यर्थ है बेकार है क्यों दुनिया में लोग वक्त बर्बाद किया करते हैं उन्होंने कभी जिनेंद्र को अपना आराध्या नहीं बनाया उन्होंने कभी किसी भगवान के डर पे अपना शीश नहीं झुकाया कभी उन्होंने धर्म को अपने जीवन का आधार नहीं माना लिखने थे इसलिए बहुत कम लोग उनको जानते हैं एक दिन क्या हुआ उनको अस्पताल में एडमिट है जो उनको चने वाले थे वह उन्हें देखने को गए मुंह टेढ़ा हो गया हाथ पर टेढ़े पद गए जुबान पर लकवा मारा कुछ नहीं बोल सकते हैं इसका मतलब था की मैं तुम्हें पहचान तो गया हूं लेकिन मैं तुमसे बोल नहीं सकता टाटा ग गया लोगों के उनके प्रेमियों का उनके मित्र मंडलीका ने देखने के लिए वह कुछ ना बोल सके डॉक्टर ने से पूछा की इनका इलाज कर रहे हैं लेकिन मुश्किल है बड़े बड़े बैठे हैं जीवन भर जिसने कलाम नहीं उठा का रहा है कागज नहीं उठा का रहा है वह दो शब्द नहीं पढ़ का रहा जिसकी किताबें को हजारों लोगों ने पढ़ा वो अपनी किताब खुद नहीं पढ़ का रहा है देख नहीं का रहा है 8 दिन तक अस्पताल में मौजूद रहे डॉक्टर ने कहा की जिनेंद्र कुमार तुम्हारा इलाज बहुत हो गया तुम जिसे अपना आराध्या मानते हो उसका ईश्वर ना करो शायद वो परमात्मा ठीक कर दे उसे दिन लगा की मैंने तो कभी भगवान का नाम ही नहीं लिया सुमिरन ही नहीं किया है किसी को अपना आराध्या माना ही नहीं है पत्नी से कहा की इन्हें इनके भगवान का इनके धर्म के ईश्वर का नाम याद करो ताकि अपने जीवन को शांति से जैसा भी है विसर्जित कर सके या जी सकें उसे दिन पहले बार जिनेंद्र कुमार को लगा साड़ी रात अकेले जब पलंग पर अस्पताल में लेते रहे जब कुछ भी नहीं कर सकते तब उन्हें लगा की शायद लेना चाहिए भगवान का नाम जैन कल में पैदा हुए थे कुछ आता हो या ना आता हो हर जेनी को नमो अरिहंत कहना तो आता ही है ना चाहे मंदिर जाए पूजा करें पाठ करें ना करें नाश्ते को आस्तीन को धर्म से कोई मतलब ना हो उसे कुछ भी ना आता हो लेकिन णमोकार मंत्र हर जेनी को आता है ये हमारी माता-पिता का उपकार है की मैं पैदा होते हमारी कान में णमोकार मंत्र फूंक दिया जाता है जान रखना मां-बाप जानते हैं एक ऐसा बनेगा इसका भाग्य लेकर आया है अपना प्रारब्ध लेकर के आया है लेकिन हर माता पिता कब करता है उसका प्रश भी हो चाहे वो नरगामी हो चाहे स्वर्ग गामी हो हमारी समाज के आचार्य ने व्यवस्था दी है उसकी होनहार जैसी भी हो लेकिन माता-पिता का फर्ज है 45 वे दिन किसी आचार्य के पास जाकर कान में णमोकार मंत्र से सुना देना चाहिए आचार्य मिले या ना मिले कोई जरूरी नहीं है धीरेंद्र भगवान के चरणों में दाल दो तुम्हारी ड्यूटी है माता-पिता होने के नाइट आपका फर्ज है ये आपकी मंत्र भाव है आए ध्यान रखना उसको णमोकार उसकी माता पिता ने सिखाया था पहले बार भोले नमो अरिहंत पुरी जिंदगी गुर्जर गई 60 साल 70 साल बचपन के बाद कभी नमो अरिहंताराम नहीं बोला लेकिन ऐसा संस्कार मिला था जिनेंद्र के चरणों में उसने जिंदगी में दोबारा नहीं बोला लेकिन वो भूल भी नहीं ध्यान रखना णमोकार मंत्र कोई भूलता है क्या एक बार याद कर ले एक बार सुन ले आदमी साड़ी चीज भूल सकता है लेकिन नमो अरिहंताराम कोई जैन कभी भूल नहीं सकता है दुख में सुख भर जग है अभी प्रीत स्थिति हो अनुकूल स्थिति हो आदमी को कुछ आए ना आए णमोकार मंत्र से जरूर नाम का ऐसे कोई बैठे हैं मैं उनके दर्शन कर लूं जिसको णमोकार नहीं आता हूं सबको आता है नैनों को तृप्ति कर लूं उसे देख करके सुबह नर्स ने देखा इनके हाथ पर में हलक जलन हो रहा है डॉक्टर आया चेक करने तू नहीं दी है इसको कौन सा इंजेक्शन दिया है 

वैदिही है पुलिस के हाथों में कुछ हरकत दिखाई देती है हालन चालान दिखाई देता है जर जर आंसू गिर रहे हैं जिनेंद्र कुमार के डॉक्टर ने कहा की जैन साहब क्या हुआ तुम्हें बोल तो सके नहीं लेकिन हाथ की इशारों से कहा की जो कुछ है वह ऊपर वाला है वह परमात्मा है कहते हैं की थोड़ी डर बाद जैसी णमोकार की धुन लगती है आप सोचेंगे आश्चर्य मानेंगे कोई कहानी नहीं हकीकत है वह जिनेंद्र कुमार जी की आवाज वापस ए जय करती है पहले बार उन्होंने नमो अरिहंत आदम बोला पहले इमाम का स्मरण किया पत्नी ने कहा अब क्यों रोटी हो अब तुम ठीक हो ना रो इसलिए रहा हूं एक रात णमोकार पढ़ा तो आज मेरे ये हाल हो गए पागल जिंदगी भर पढ़ना तो जिनेंद्र कुमार तू नाम का नहीं कम काजनेंद्र कुमार बन गया होता तेरा जीवन सार्थक और सफल हो गया होता डॉक्टर ने कहा की देखो जिनेंद्र कुमार तुमने रात भारत स्नान नहीं किया प्रभु नाम से मां का स्नान किया है तुम्हारा मां पवित्र हो गया है तुम्हारी आत्मा की हम रोज जपते हैं तो तू सुनता नहीं है उसकी एक बार में सुन ली ध्यान रखना नहीं तो अपन गरीब जल्दी लगा लिया करते हैं एक बार ये मत सोचो की तुम णमोकार पढ़ने हो तो तुम्हें कुछ नहीं होता है आज जितना भी जिंदगी में सुकून है ना जाएं हो तुम्हारी जीवन में जितने भी अंश सुकून मिल रहा है वो मेरे णमोकार मंत्र की बदौलत तुमको प्राप्त हो रहा है जानेमन अपने के लिए महलों की जरूर नहीं होती है बड़े-बड़े राज महल की जरूर नहीं होती है खांसी अच्छी है ने तो बड़े-बड़े महलों में चिंताएं और पीड़ाएं अच्छी हैं अरे मेरा णमोकार मंत्र जहां हो जाता है वहां आत्मा अपने आप पवित्र हो जय करती है पवन हो जय करती है अदिति का स्नान नहीं करना है अरे मां का स्नान करना है एक बात याद रखना औरंगाबाद वालों तन मेला हो जाए तो भी केवल ज्ञान हो सकता है लेकिन मां में ला हो जाए तो केवल ज्ञान नहीं हुआ करता है से निवेदन है मेरा यहां तो आदम खाने वाले भी जीवन को पवित्र कर जय करते हैं हम उसे देश के लोग हैं भूल जो मारा मारा करो मंत्र गलत हो जाए चिंता मत करना लोग मंत्र सिद्धि में लगे हैं एक व्यक्ति मेरे कमरे में आए की महाराज मेरा मंत्र सुनो ना नहीं इनका पागल मंत्र को छोड़ तेरा मां सही है या नहीं यह बता ध्यान रखना मंत्र की शुद्ध मत करो मां की शुद्ध करो और जी दिन मां शुद्ध हो जाता है ना उसे दिन आराम भी निरसा आपके जीवन का कल्याण कर दिया करता है हरदम कछु नजानम सेठ वचन


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