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युधिष्ठिर की विशेषता: धर्मराज का अद्वितीय चरित्र

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महाभारत महाकाव्य में पाँच पाण्डवों में सबसे बड़े और धार्मिक राजा युधिष्ठिर का चरित्र एक अद्वितीय और प्रेरणादायक कहानी है। युधिष्ठिर का धर्म, सत्य, और नैतिकता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता उन्हें महाभारत के चरित्रों में अद्वितीय बनाती है। इस ब्लॉग में हम युधिष्ठिर की विशेषताओं को विस्तार से जानेंगे, जो उन्हें महाभारत के धरोहर में एक अनूठा स्थान देती है। 1. युधिष्ठिर का धर्मयुद्ध में प्रमुख भूमिका: महाभारत का युद्ध धर्मयुद्ध था, और इसमें युधिष्ठिर की प्रमुख भूमिका ने इसे एक नैतिक और धार्मिक संघर्ष में बदल दिया। युद्ध के पहले दिन, युधिष्ठिर ने कुरुक्षेत्र के मध्य में खड़े होकर धर्मयुद्ध की महत्वपूर्णता को बताया और उसे नैतिक आधार पर स्थापित करने का प्रयास किया। इससे युद्ध को धर्म और न्याय का मैदान बना, जिसमें युधिष्ठिर का नेतृत्व एक अद्वितीय स्थान बनाता है। 2. धर्मराज का अर्थ: युधिष्ठिर को 'धर्मराज' कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'धर्म का राजा'। उनका नाम स्वयं में ही एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि वे अपने पूरे जीवन में धर्म के प्रति पूरी तरह समर्पित रहे हैं। उन्होंने अपने आचरण मे

युधिष्ठिर की विशेषता

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महाभारत, भारतीय साहित्य और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसमें पाँच पाण्डवों का युधिष्ठिर एक महत्वपूर्ण चरित्र है। उनका चरित्र न केवल धर्म और नैतिकता की प्रतिष्ठा के लिए बल्कि उनके विचारशीलता और सामर्थ्य के लिए भी प्रसिद्ध है। युधिष्ठिर का धर्म राजा: युधिष्ठिर को 'धर्मराज' कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में सत्य, धर्म, और नैतिकता के मानकों का पालन किया। उनकी नीति, उनके न्यायसंगत निर्णय और समाज में न्याय की स्थापना में उनकी शक्ति ने उन्हें विशेष बनाया। सामर्थ्य और विचारशीलता: युधिष्ठिर एक महान राजा और एक अद्वितीय योद्धा भी थे। उनका धैर्य, बुद्धिमत्ता, और विचारशीलता ने उन्हें महाभारत के युद्ध में अग्रणी बनाया। युद्ध में कुशल नेतृत्व: महाभारत के युद्ध में युधिष्ठिर ने अपने सेना का अद्वितीय नेतृत्व किया और धर्मयुद्ध में उनकी प्रमुख भूमिका रही। उनके नेतृत्व में उनकी सेना ने धर्म और न्याय के लिए संघर्ष किया। धार्मिक शिक्षाएँ: युधिष्ठिर का विचारशील मनोभाव और उनके द्वारा दी जाने वाली धार्मिक शिक्षाएँ उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु बनाती हैं। उनके विचार और नीति

क्या हुआ जब युधिष्ठिर ने गरीबों को दान देने से मना कर दिया?

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क्या हुआ जब युधिष्ठिर ने गरीबों को दान देने से मना कर दिया? मुझे स्पष्ट करना होगा कि महाभारत में ऐसी कोई महत्वपूर्ण घटना नहीं है जहां युधिष्ठिर ने गरीबों को दान देने से इनकार कर दिया हो। दरअसल, युधिष्ठिर धर्म और दान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके चरित्र को लगातार धर्म को कायम रखने वाले के रूप में चित्रित किया गया है, जिसमें जरूरतमंद लोगों के प्रति परोपकार और उदारता का अभ्यास शामिल है। युधिष्ठिर के परोपकारी स्वभाव का उदाहरण देने वाला एक प्रमुख उदाहरण पांडवों के जंगल में निर्वासन के दौरान का है। अन्य अच्छे कार्यों में, युधिष्ठिर ने ब्राह्मणों का समर्थन किया और वंचितों को भिक्षा दी। "यक्ष प्रश्न" के नाम से प्रसिद्ध प्रकरण में, जिसे यक्ष के प्रश्नों के रूप में भी जाना जाता है, यक्ष नामक एक अलौकिक संस्था द्वारा युधिष्ठिर की परीक्षा ली जाती है, जो उनके ज्ञान और भक्ति को मापने के लिए उनसे कई प्रश्न पूछता है। . धर्म के लिए. इस प्रकरण में युधिष्ठिर अपनी प्रतिक्रियाओं के माध्यम से धार्मिकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और नैतिक सिद्धांतों के गहन ज्ञान को प्रदर्शित करत

उत्तम ब्रहमचर्य धर्म | घर में ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? जिनशरणम तीर्थधाम, 28 सितम्बर 2023

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उत्तम ब्रहमचर्य धर्म | घर में ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें? जिनशरणम तीर्थधाम, 28 सितम्बर 2023 भगवान महावीर जी की उत्तम ब्रह्मचारी धर्म की दास लक्षण मा पाव की बोलो भारत गौरव नेता आचार्य पलक सागर जी गुरुदेव की आचार्य संघ की उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की की बात कुछ नहीं बचत है बड़े आनंद के साथ साधना की बड़ी उमंग के साथ तपस्या की बहुत लोगों ने उपवास किया कोई 32 उपवास कर रहा है कोई सोलह उपवास कर रहा है कोई तास कर रहा है कोई आठ कर रहा है कोई पांच कर रहा है कोई बात नहीं जबरदस्ती नहीं करना है मैं कैसे जबरदस्ती कर सकता हूं जब मैं नहीं कर रहा हूं मैं समझना हूं तुम्हारा दर्द थोड़ी सी बातें करूंगा संयम यदि विश्व में किसी धर्म के पास दिखाई देता है तो भगवान महावीर का जिन शासन होता है जहां पर इतनी कठोरता साधना की जाति है लोग कल्पना नहीं कर सकते हैं लोग विश्वास नहीं कर पाते हैं कितने इतने दिन भी कोई निराहार रहकर अपने जीवन व्यतीत कर सकता है और आप सब ने यह करके यह उपास आदि की साधना करके श्रवण संस्कृति का गौरव बढ़ाया है आत्मा का उधर तो किया ही है कल्याण तो किया ही है उसके साथ-साथ जो हमारे पूर्वजों की परंपरा ह

उत्तम अकिंचन्य धर्म | त्याग और तपस्या करोगे तभी महान बनोगे | जिनशरणम तीर्थधाम, 27 सितम्बर 2023

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  उत्तम अकिंचन्य धर्म | त्याग और तपस्या करोगे तभी महान बनोगे | जिनशरणम तीर्थधाम, 27 सितम्बर 2023 आज का जो आधार कार्ड भी त्याग करो एक माता जी मेरे पास आई अम्मा जी आई उन्होंने कहा महाराज मैं 30 साल से रात में नहीं का रही प्रातः पानी भी नहीं पीटी हो महाराज [संगीत] मेरे वो नियम है मेरा इतना नहीं है जैन दर्शन कहता है इसे भी बोले जो यह नियम इस संकल्प एक क्रियाएं जो कुछ भी किया है ना इसका भी त्याग कर दो कभी-कभी जोड़ने का ही अहंकार नहीं होता छोड़ने का भी बहुत बड़ा अहंकार होता है हम यह नहीं करते हम यह नहीं खाता हम वो नहीं पीते ढोल क्यों बजा रहे हो साड़ी दुनिया में ढिंढोरा क्यों पीट रहे हो नहीं करते तुम्हारा भला है आप क्या-क्या छोड़ चुके हैं भगवान महावीर कहते हैं उसे भूल जाइए क्या-क्या बच्चा रखा है उसे याद रखिए और उसे छोड़ने का प्रयास करें आलू नहीं खाता लेकिन दूसरी चीज है तो कितनी का जाते हो उसे पर कंट्रोल करेंगे उत्तम आकर्षण संकल्प ही नहीं विकल्पों का भी जो त्याग कर देता है वह उत्तम अकीम चंद्र धर्म को प्राप्त हो जाता है जो अपना है उसे छोड़ नहीं जा सकता और जो अपना नहीं है उसे पड़ा नहीं जा सकता भ

उत्तम त्याग धर्म |जो बुरा लगे उसे त्याग दो फिर चाहे वो विचार हो कर्म हो या कोई मनुष्य हो 26 -09-2023

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  उत्तम त्याग धर्म |जो बुरा लगे उसे त्याग दो फिर चाहे वो विचार हो कर्म हो या कोई मनुष्य हो 26 -09-2023 आज उत्तम त्याग का दिन है अर्जुन के साथ-साथ विसर्जन जरूर होना चाहिए पूजन में हवन करते हो तो आखरी में विसर्जन भी होता है संग्रह के साथ-साथ विसर्जन की कल जो जोड़ने ही जोड़ने हैं जोड़ने नहीं हैं वो डब जाते हैं पकाने की जो वासना है वो है परिग्रह है जोड़ो खूब जोड़ो लेकिन जोड़ने समय एक चीज याद रखना की जीने के साथ-साथ हमें जाना भी है स्थाई नहीं है जाना पड़ेगा कितने चले जाएंगे कोई भरोसा नहीं है इसलिए संसार में जो कुछ भी करो एक चीज का ध्यान रखना की मिटना जरूर है खत्म जरूर होना है तो मां में भाव रखना की एक दिन ये अंगूठी गिरेगी या मैं गिरूंगा या अंगूठी गिरेगी दो में से एक तो जाएगा ध्यान रखना या पदार्थ विदा लगा या फिर मैं दुनिया से इसलिए त्याग में चाहिए 2 दिन का जग में मिला सब चला चली का ठेला दो दिन का जग में मिला सब चला चली कांतिलाल कोई आए कोई जाए कोई गठरी बंद सिधाई खड़ा किया रे अकेला रे कोई खड़ा तैयारी अकेला रहे ठेला रे दो दिन का जग में मिला सब चला चली कैट दो दिन कई तो बचाएं पड़ोस उसके बाद चला च

उत्तम तप धर्म | इच्छाओं को रोकना या जीतना ही तप हैं | जिनशरणम तीर्थधाम, 25 सितम्बर 2023

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  उत्तम तप धर्म | इच्छाओं को रोकना या जीतना ही तप हैं | जिनशरणम तीर्थधाम, 25 सितम्बर 2023 जीवन एक तपस्या एक बात याद रखना जहां तपस्या है वहां समस्या नहीं हो रहा करती है और समस्याओं को मिटाना है तो तपस्या करना बहुत जरूरी है तब के किसी को कुछ प्राप्त नहीं हुआ आज आप जहां पर बैठे हैं जी मोड पर है जी स्थान पर हैं जी ऊंचाई पर है जहां भी हैं उसके पीछे कहानी ना कहानी कोई तप हमारे साथ रहा है विद्यार्थी डिग्रियां पता है तो उसके पीछे भी तब चला करता है व्यापार करते हैं तो वह भी एक तपस्या है आप ग्रस्त जीवन जीते हैं वह भी एक तपस्या है और एक बच्चे को पाल पोज कर बड़े करते हैं वह भी एक तपस्या हुआ करती है आप नाम कमाते हैं तो वह भी एक तपस्या है आप इज्जत शोहरत कमाते हैं तो वह भी किसी तपस्या से कम नहीं हुआ करता है बिना टपके तो जीवन चला ही नहीं है आदमी का जन्म होता है 9 महीने गर्भ में रहना वही भी एक तपस्या है और 9 महीने अपने पेट में किसी बच्चे को रखना वही भी एक तपस्या हुआ करती है इस जीवन को बचपन में जीना भी एक तपस्या है जवानी तक आना एक तपस्या है और जीवन का विसर्जन कर देना यह भी एक तपस्या कहां नहीं है मुसीबते